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Hindu हिंदी  -  कश्मीरः निर्णायक समाधान

Al Gaddafi speaks Hindu हिंदी 

Muammar Al Gheddafi Hindu हिंदी 

Muammar Al Gaddafi speaks Hindu हिंदी 

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कश्मीरः निर्णायक समाधान

कश्मीरः निर्णायक समाधान

16.08.2002

कश्मीर समस्या का शान्तिपूर्ण समाधान बहुत आवश्यक हैइसके समाधान से पड़ोसी भाई भारत और पाकिस्तान के सम्बंध अच्छे हो जायेंगेयह दो देश वास्तव में दो भाई हैंहर प्रकार से भारत और पाकिस्तान एक ही देश थाबँटवारे के बावजूद यह दोनों भाई हैं|



बँटवारा उपनिवेशी षडयंत् का परिणाम थाउपनिवेशी शक्ति अपने पीछे ऐसा कोई देश नहीं छोड़ना चाहती थी जिसकी जनसंख्या,भौगोलिक आकार और सामर्थ्य काफी महान होंये  ही थे जिन्होनें विभिन्न सम्प्रदायों और जातियों के बीच में आपसी शत्रुता के बीज डालेइस बात का प्रमाण यह है कि उपनिवेशन के पहले ये सब आपस में भारतीय उपमहाद्वीप में शान्तिपूर्वक मिल-जुलकर रहते थे|



इस साम्प्रदायिक हिंसा और हत्याकाण्ड का जिम्मेदार ब्रिटिश उपनिवेशवाद थायहाँ उपनिवेशक षड़यंत्र ने स्थिति को इतना गम्भीर कर दिया कि धर्म के आधार पर बँटवारा ही एकमात्र समाधान रह गयाबँटवारा एक प्रतिक्रियात्मक उपनिवेशी सिद्धान्त हैदुःख इस बात का है कि भारत और पाकिस्तान के बँटवारे के बाद भी विभिन्न धर्मों के अनुयायिों के बीच की लड़ाईपूजा-स्थानों का विनाश और ध्वंस जारी हो रहा हैयहाँ निरंतर लड़ाइयाँ एवं विभाजन इस उपमहाद्वीप की जनता के हित में नहीं हैंयह बड़े शर्म की बात है कि ये लोग आपस में एक दूसरे को मारने पर तुले हैं|



परन्तु विश्वीकरण की  वजह से इस समस्या का एक व्यावहारिक और उन्नतिशील समाधान प्रस्तुत होगाविश्व का मानचित्र दुबारा बनाया जायेगानयी महाशक्तियों का जन्म होगाआजकल की चुनौतियोंकड़े मुकाबले की वजह से छोटे राज्यों का बचना कठिन हो गया है और अन्त में समाप्त ही हो जायेगाविश्व का नया मानचित्र भावनाओंसाम्प्रदायिकता एवं जाति-भेद के आधार पर नहीं परन्तु भौगोलिक आधार पर स्थापित होगाइसके नये अंग बड़े बड़े संघ होंगे जैसे अफ्रीकन संघयूरोपियन संघकॉमनवेल्थ आफ  इंडिपेनंडेन्स स्टेट्स और एशियनभारतीय उपमहाद्वीप के राज्य भी आपस में मिलकर एक एेसा बड़ा संघ बनायेंगे|



कश्मीर



कुछ लोग दूसरों के बलिदान को घृणा से देखते हैं जब कोई अपना खून या अपना जीवन किसी उद्देश्य के लिये देता है तो लोग उसे गैरजिम्मेदार ठहराते हैंवे लोग उन बलिदानों को आतंकवादी का नाम देते हैंवे लोग न तो कश्मीर की  समस्या के समाधान के लिये मध्यस्थ बनते हैं और न ही किसी दूसरी समस्या के लिये बनते हैंचाहे ये लोग जिनमें मुस्लिम,हिन्दू,बौद्ध या सिख हों किसी शुभ काम के लिये अपना बलिदान भी दे दें हमें उस आत्मबलिदान का सम्मान करना चाहियेउनको घृणा से देखना न तो कश्मीर की समस्या का और न ही दुनिया की किसी भी समस्या का हलकरने का रास्ता है|



यह सम्पूर्ण विश्व में और इस क्षेत्र के लोगों को स्पष्ट हो गया है कि तीन प्रकार के तत्त्व हैंभारतीयपाकिस्तानी और कश्मीरीइस समस्या को हल करने के लिये इसी आधार पर  कुछ संस्थाएँ पूर्णरूप से स्थापित होनी चाहियेंउपमहाद्वीप के सैकड़ों राज्यों की भी स्थिति ऐसी ही थी लेकिन अब ऐसा नहीं हैकश्मीरहैदराबाद और जूनागढ़ की समानता अब नहीं हैहैदराबाद और जूनागढ़ की स्थिति निश्चित की गई जनमत-संग्रह के द्वारा और  बँटवारे के सिद्धांतो के द्वारा जो कि उपमहाद्वीप को हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में बाँट दियायह बात कहना अनुचित है कि कश्मीर की स्वाधीनता से बाकी सब राज्यों पर एैसा असर पड़ेगा कि उनमें भी अलग होने का विचार अपनाया जाएगायह नहीं हो सकता है बाकी सब राज्यों की स्थिति  बँटवारे के सिद्धांतो के और उसके पश्चात् सुरक्षा-परिषद् के प्रस्तावों के आधार पर निशचित की गयी थी,जिन प्रस्तावों  के अनुसार जन-मत का सिद्धांत बुनियादी बनादूसरे राज्यों में भी जन-मत का संग्रह हुआअन्तर्राष्ट्रीय प्रस्तावों और अधिनियमों के अस्तित्व को मुद्देनजर रखते हुए किसी भी राज्य गवर्नर या स्थानीय लोकसभा का ऐसा कानूनी निर्णय लेनाजो उनके विरुद्ध कोअसम्भव है|



कश्मीर की बिशेषताएँ



कश्मीर में भारतीय उपमहाद्वीप के दूसरे भागों में जैसी मिली-जुली जनसंख्या (आर्यमंगोलटूर्कीऔर अफगानीरहती है और विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैंलेकिन इसके बावजूद कश्मीर का अपना एक विशेष इतिहास हैयह बौद्धो और ब्राह्मणों के झगड़ों से जुड़ा हुआ हैइसके बाद कश्मीर में हिन्दू सभ्यता का प्रसार हुआ और उसके बाद इस्लाम की सभ्यता का|



कश्मीर की एक विशेषता यह है कि ब्रिटिश उपनिवेशी नियम के अन्तर्गत कश्मीर जागीर राजवंश को बेचा गयावह परिवार लगभग एक शताब्दी तक पूर्ण अधिकारी थाकश्मीर को स्वराज्य का ज्यादा अधिकार क्यों दिया गया था ? जब उपमहाद्वीप को भारत और पाकिस्तान में बाँटा गया तो कश्मीर क्यों अपवाद माना गया था ? और दो राज्य अपवाद माने जाते थे,हैदराबाद और जूनागढ़लेकिन जब उनका मामला तय हो गया बँटवारे के बादतो फिर कश्मीर का मामला अधूरा क्यों छोड़ा गयाकश्मीर की सरकार के मुखिया को भारत सरकार के मुखिया की तरह प्रधानमंत्री क्यों कहा जाता हैकश्मीर का अपना झंडा और अपनी महासभा क्यों हैयह सब साबित करता है कि कश्मीर एक अनूठा और भिन्न मुद्दा हैइसका इतिहास और परिस्थिति दूसरे राज्यों से अलग हैयह तर्क करना उचित नहीं है कि इसमें किस धर्म के कितने लोग रहते हैंभारतीय उपमहाद्वीप में धर्म का प्रश्न एक नाजुक एवं जटिल मामला हैउपनिवेशी सत्ता ने  'विभाजन करके शासन करनेके राजनैतिक नियम का अनुसरण किया ताकि इस महाशक्ति को आपस में लड़ते हुए छोटे‍-छोटे देशों में तोड़ दिया जाएभारत सिर्फ हिन्दू धर्म का देश नहीं है यह बहुत धर्मों का देश हैयह हिन्दूमुसलमानबौद्ध और सिख  हैहर संघर्ष को हिन्दू-मुस्लिम लड़ाई की दृष्टी से वर्णित करना उचित नहीं हैकश्मीर केवल एक मुस्लिम राज्य नहीं हैयह एक हिन्दूमुस्लिम एवं बौद्ध राज्य हैयह इन सब समुदायों की सम्पत्ति हैयदि यह नियम अपनाया जाए कि सब मुसलमान पाकिस्तान के हैं और सब हिन्दू भारत के हैं तो इससे उपमहाद्वीप को और टुकड़ों में बाँटा जाएगायहाँ इससे कभी भी स्थिरता नहीं होगीइसका समाधान भी हमारे हाथ नहीं आयेगाइस विचारधारा से हमें सदैव के लिये छुटकारा पा लेना चाहियेयह कश्मीर के झगड़े की जड़ हैसभी कश्मीरी चाहे वे हिन्दू हैं चाहे मुसलमान हैं वे सब कश्मीर से समबन्ध रखते हैंयह ध्यान देने की बात है कि कोई न्यायसंगत समाधान सुझाया नहीं गया हैअब तक जो भी प्रस्ताव पेश किये गये हैंवे भावनाओं पर आधारित और तर्करहित सिद्ध हुए हैं|  हमेशा इस समस्या की बात दूसरे धर्म के लोगों पर आक्रमण करने से प्रारम्भ होती हैइस विवाद में धर्म के बारे में बात करना गम्भीरता की कमी दिखलाता हैइसका समाधान धर्मजातित्व और भाषा में नहीं मिलेगाइसका समाधान तो कश्मीर के लोगों के स्वलाभ में मिलेगाइस विश्वीकरण के युग में लोगों को धर्मभाषा और जाति के नाम पर इकट्ठा रहना सम्भव नहीं है जब कि सामूहिक हित ही इनको इकट्ठा रख सकता है|  सामूहिक हित विभिन्न धर्मोजातियों और भाषाओ के लोगों को इकट्ठा करने में समर्थ हैसामूहिक हित के सामने वे भावमय रिश्ते कमजोर पड़ जाते हैंकश्मीर समस्या के एक सच्चेगम्भीर और निश्पक्ष समाधान के लिये पड़ोसी देशो के हितों की उपेक्षा  नहीं करनी चाहियेउनके हितों का कदाचित उल्लेख होता हैये  धार्मिक और अन्य भावनाओं के पीछे छिपे हैंकश्मीर का पानी इस क्षेत्र का एक मुख्य स्रोत हैचार देशो की सीमा कश्मीर के साथ लगती हैकश्मीर में उनकी युद्धनीति और सुरक्षा संबंधित रुचि हैधर्म को ही इस समस्या का एकमात्र कारण कहना और अन्य विषयों को अनदेखा करना अनुचित हैइन संकीर्णस्वार्थी हितों की वदी पर कश्मीर के लोगों को बलिदान नहीं होना चाहिये|



कश्मीर सभी कश्मीरियों का होना चाहियेयह भारत और पाकिस्तान का नया पड़ोसी भाई होगा नेपाल और भूटान की तरह ही | सीमा से लगे हुए देशों के बीच प्रतिरोधक मंडल की तरह काम करेगासीमा से ऐसा अलग मंडल बनाने से इस खंड में भारतचीनपाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शान्ति बनी रहेगी| "टीमोर.एल एस्ट(Timor L'Este) की  स्वतंत्रता इस बारे में एक अच्छा उदाहरण है|



विश्व के मानचित्र में शीघ्र महाशक्तियों के अलावा कुछ नहीं रहेगाक्योंकि वे विश्वीकरण की चुनौतियाँ सम्भाल नहीं सकते इसलिये राष्ट्र-राज्य गायब हो जायेंगेइसलिये कश्मीर की स्वतंत्रता से इतना झटका नहीं लगेगा जितना विश्वीकरण के युग से पहले लगतायूरोपियन महासंघअफ्रीकन महासंघ और एशियन की तरह ही भारतीय उपमहाद्वीप में कश्मीरभूटाननेपालपाकिस्तानमालद्वीपश्रीलंका और भारत को संगठित करने से भविष्य में एक महासत्ता बनेगीचाहे जर्मनी और फ्रांस की तरह भी अर्थव्यवस्था और तकनीकी तौर पर उन्नति हो फिर भी भारतीय उपमहाद्वीप के देशों का इस विश्वीकरण के युग में कोई भविष्य नहीं है जब तक वह आपस में मिलकर एक महासत्ता का निर्माण न करेंविश्वीकरण की चुनौतियों का सामना जर्मनीफ्रांस और अन्य यूरोपियन देश केवल महासंघ का हिस्सा बनकर ही कर सकते हैंराष्ट्रों की जगह यहाँ महाशक्तियाँ ही नये विश्व का हिस्सा होंगी और इनकी एक ही सेनासुरक्षाढाँचाबाजारमुद्रामुख्य बैंक होंगे और यहाँ महाशक्तियाँ दूसरी महाशक्तियों से एक ही विचारधारा से बातचीत करेंगीसार्वभौमिक विश्व के पेचीदे रास्तों को सम्भालना राष्ट्रों के बलबूते की बात नहीं रह गई है यह ही इस खण्ड के लोगों के लिये सबसे अच्छा समाधान हैप्रतिक्रियात्मक रास्तों ने इन लोगों को दुःख और विनाश के सिवा कुछ नहीं दिया हैकश्मीरियोंमुसलमानोंहिन्दुओं और अन्य लोगों के निवास के रूप मेंएक स्वतंत्र राज्य के तौर परकश्मीर की लम्बी आयु हो|

 


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